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- N. Raghuraman’s Column You Should Know Some Tricks To Negotiate A Good Salary
52 मिनट पहले
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एन. रघुरामन मैनेजमेंट गुरु
इस रविवार को लखनऊ में आयोजित एक भव्य समारोह में 12,048 महिलाओं समेत 60,244 लोगों को पुलिसकर्मी के रूप में नियुक्ति पत्र मिल गए। इसके साथ देश के किसी भी राज्य की सबसे बड़ी एकल भर्ती प्रक्रिया सम्पन्न हुई। मुझे यकीन है कि नियुक्ति पाने वालों में दो तरह की भावनाएं होंगी।
पहली, 48 लाख अभ्यर्थियों में वे सबसे भाग्यशाली हैं और दूसरी, निश्चित ही थकान क्योंकि फरवरी, 2024 में लिखित परीक्षा रद्द हुई, जो दोबारा अगस्त, 2024 में हुई और अब जून 2025 में जाकर नियुक्ति मिल रही है।
हालांकि उनका तय वेतन है, जिसके साथ अन्य सरकारी लाभ भी हैं। पर निजी क्षेत्र में नौकरी खोज रहे कई लोग आजकल ऑफर को लेकर वैसा मोलभाव नहीं कर रहे, जैसा मेरे एक शिष्य ने किया।
‘जिपरिक्रूटर’ के पिछले तिमाही के सर्वे के अनुसार नई नौकरी पाने वालों में से 31% ने ही ऑफर पर मोलभाव किया, जो उससे पिछली तिमाही की तुलना में 18% कम था। अमेरिका का ये जॉब सर्च पोर्टल अपनी विभिन्न सुविधाओं के जरिए किसी व्यक्ति-व्यवसाय, दोनों के लिए नौकरी ढूंढने की प्रक्रिया आसान बनाता है।अधिकतर निजी कंपनियां अपने ऑफर्स को ‘बेस्ट एंड फाइनल’ बताती हैं।
मेरे उस स्टूडेंट को फरवरी में बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनी से ऑफर मिला। उसकी पीजी की शुरुआत से, बीते तीन वर्षों से मैं उसे गाइड कर रहा था। कंपनी ने उसे ऑफर लेटर दिया और कहा, ‘हमारी पेशकश सटीक है’। वह वॉशरूम का बहाना कर वहां से हटा और मुुझे कॉल किया। उसने कहा, ‘सर, आपको इसका क्या मतलब लगता है’।
मैंने कहा, इसका अर्थ है कि कंपनी वेतन पर कोई मोलभाव नहीं करती और उनका ऑफर अधिकतर प्रतिस्पर्धियों की तुलना में अधिक है, ताकि वो तुम्हारे समेत अन्य सभी के साथ पारदर्शी रहें।’ उसने पूछा कि अब क्या करें? ऑफर मानकर साइन करने चाहिए?
मैंने कहा, ‘जिन बिजनेस के पास योग्य उम्मीदवार होते हैं, वे एक कीमत तय कर सकते हैं और उस पर अड़े रह सकते हैं। पर बातचीत में एचआर की बेचैनी बाहर आ जाती है। क्या तुम सटीक तरीके से बता सकते हो कि एचआर हैड से क्या बात हुई।’
उसने एक मिनट तक पूरी बात दोहराई और मैंने कहा ‘उन्हें विनम्रता से कहो, आपके ऑफर के लिए धन्यवाद। पर मुझे बेहतर ऑफर की आशा थी। इसके बाद रुक जाना। उसके बोलने का इंतजार करना।’
फिर मैंने उसे बताया कि यहां से बातचीत कैसे आगे बढ़ानी है। उसने वैसा ही किया। एचआर हैड ने कहा ‘तो अब आपका फैसला क्या है?’ मेरे शिष्य ने विनम्रता से कहा ‘आपके ऑफर के लिए धन्यवाद। पर मुझे मेरे परामर्शदाता से बात करने दें और मैं एक हफ्ते में जवाब दूंगा।’ इसने उन्हें असहज कर दिया। उसने वेतन से अलग प्रोडक्टिविटी बोनस का ऑफर दिया।
मेरे शिष्य ने कहा, ‘यदि मैं कड़ी मेहनत करूंगा तो हर प्रकार से उसका अधिकारी तो हूं, मुझे पता है कि उसे तो मैं हासिल कर लूंगा।’ इसके बाद दोनों ने हाथ मिलाया और एचआर हैड ने कहा, वह शाम तक जवाब देगा। और शाम को जो ऑफर आया वो अपेक्षाओं के करीब था, हालांकि बिल्कुल वैसा नहीं, जैसा हमने सोचा था।
याद रखें, कंपनियां किसी भी तरह के निगोशिएशन को शुरू होने से पहले ही खत्म करना चाहती हैं। पर वे यह भी जानती हैं कि जब प्रतिभा बेहतर हो तो वे अपने उस पुराने डायलॉग पर टिकी नहीं रह सकती कि ‘स्वीकार करो या फिर छोड़ दो।’ जो ऑफर बिल्कुल नॉन निगोशिएबल लग रहे हों, वहां भी बातचीत की गुंजाइश हो सकती है।
समझदार कर्मचारी, जो अपना वेतन नहीं बढ़वा पाते, वो दूसरी रियायतें पा ही लेते हैं जैसे साइनिंग बोनस, हर हफ्ते वर्क फ्रॉम होम के दिन, और कहीं-कहीं बड़ा पदनाम। पर याद रहे कि अंतिम वाला कई जगहों पर सिर्फ दिखावटी होता है।
मेरे एक दोस्त ने उसका साक्षात्कार कर रहे एचआर निदेशक को ये सुझाव देकर कि उनके पद का नाम ‘डायरेक्टर ऑफ पीपल एंड कल्चर’ होना चाहिए, एक बहुत अच्छा ऑफर हासिल कर लिया।
फंडा यह है कि जब कंपनियों का पलड़ा भारी हो तो मोलभाव के कई तरीके हैं। वास्तव में आप जो चाहते हैं, उसमें स्पष्टता रखें और फिर देखें कि आप कैसे बातचीत करते चले जाते हैं।