आगरा के पूर्व बसपा विधायक जुल्फिकार अहमद भुट्टो की मीट फैक्टरी में दो मजदूरों की मौत के बाद ठेकेदार की हरकत पर परिवार व समर्थक गुस्से में आ गए। जब उन्हें पता चला कि दुर्घटना के बाद साथी मजदूरों के मोबाइल छीनकर उन्हें वहीं रोके रखा गया। शवों को भी दो घंटे तक अस्पताल नहीं लाया गया। जब शव अस्पताल लाए गए तो उन्हें लेकर आने वाले शवों को वहीं छोड़कर भाग गए। यही नहीं तीन बजे की घटना में परिवार व पुलिस को भी छह बजे के बाद सूचना दी गई। इन्हीं बातों को लेकर अस्पताल व फैक्टरी पहुंचकर हंगामा किया गया।

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इसी फैक्टरी में काम करते थे मजदूर
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छीन लिए गए सभी मजदूरों के फोन
तालसपुर स्थित एचएमए एग्रो इंडस्ट्रीज लिमिटेड में हुई दुर्घटना के बाद सुबह जब साथी मजदूर अस्पताल पहुंचे तो उन्होंने परिवार के लोगों को पूरा वाकया बताया। मजदूरों ने बताया कि रात में सफाई के लिए करीब 50 मजदूर अपना अपना काम कर रहे थे। तभी शोर मचने पर सभी खून एकत्रित होने वाले टैंक के पास पहुंचे। मगर ठेकेदार ने सभी को वहीं रोक लिया। तभी पता चला कि इमरान व आसिफ टैंक में जा गिरे। उनकी मृत्यु हो गई है। किसी तरह उन्हें बाहर निकाला तो दोनों मृत थे। इसके बाद सभी मजदूरों के मोबाइल छीन लिए गए। हालांकि उस समय वहां प्रबंधन से कोई अधिकारी नहीं था। सिर्फ ठेकेदार ही था। वह घंटों तक फोन पर किसी से बतियाता रहा। दो घंटे बाद शवों को अस्पताल भेजा। उन्हें वहीं छोड़कर आने के बाद परिवार व पुलिस को खबर दी।

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फैक्टरी में मौजूद प्रशासन
– फोटो : अमर उजाला
मुआवजे पर बनी सुलहनामे की बात
इस सूचना पर रोते बिलखते परिजन, मोहल्ले के लोग व साथी मजदूरों के अलावा सपा के जिला महासचिव मनोज यादव, महानगर अध्यक्ष अब्दुल हमीद घोषी, पार्षद हफीद अब्बासी, पार्षद आसिफ अल्वी, पप्पू प्रधान, सलामुद्दीन अब्बासी आदि पहुंच गए। सभी ने यह बातें जानकर लापरवाही का आरोप लगाया। हंगामा करते हुए फैक्टरी गए। वहां से पुलिस द्वारा समझाए जाने पर सभी पोस्टमार्टम हाउस पर पहुंचे। मगर दोपहर में फैक्टरी प्रबंधन के लोग पोस्टमार्टम हाउस पहुंच गए। जहां सपा नेताओं द्वारा परिवार को मुआवजे की बात रखी। जहां दोनों के परिवार को 4-4 लाख रुपये नकद, अंतिम संस्कार में मदद व परिवार के एक एक सदस्य को स्थायी रूप से काम पर रखे जाने पर परिवार सहमत हो गए। इस सुलहनामे के बाद परिवार बिना किसी कार्रवाई के शवों को ले गया।

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फैक्टरी में मौजूद प्रशासन
– फोटो : अमर उजाला
इधर, पोस्टमार्टम में दोनों मजदूरों की मृत्यु का कारण डूबने के कारण खून युक्त पानी सांस नली व पेट में अत्यधिक मात्रा में जाने, जिससे सांस न ले पाना उजागर हुआ है।
न चश्मदीद, न सीसीटीवी मिले
इस दुर्घटना के बाद डीएम के निर्देश पर सिटी मजिस्ट्रेट रमाशंकर, सीओ प्रथम अभय पांडेय, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी विश्वनाथ शर्मा, फायर सर्विस, पशुपालन आदि की संयुक्त टीम जांच के लिए पहुंची। टीम ने करीब चार घंटे तक फैक्टरी में रहकर मजदूरों से बात की। हालांकि घटना का कोई चश्मदीद साक्षी नहीं मिला। न कोई सीसीटीवी देखने को मिला।

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पोस्टमार्टम हाउस के बाहर जमा लोग
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नहीं था कोई अधिकारी, कारखाना विभाग तय करेगा कार्रवाई
इतना जरूर पता चला कि रात में काम हो रहा था, मगर कोई जवाबदेह अधिकारी वहां नहीं था। इसलिए यह तो साफ नहीं हुआ कि मजदूर किस तरह गिरे होंगे। मगर बातचीत के आधार पर इसे टीम ने हादसा ही माना है। मगर पूरे मामले में कोई जवाबदेह अधिकारी न होने को लापरवाही माना गया है। इस संबंध में संयुक्त रिपोर्ट एडीएम सिटी के जरिये डीएम को भेज दी गई है। इस विषय में एडीएम सिटी अमित कुमार भट्ट बताते हैं कि दुर्घटना के समय कोई जवाबदेह अधिकारी या प्रशिक्षित नेतृत्वकर्ता वहां नहीं था। यह स्थलीय रिपोर्ट मिली है। मामले में कारखाना व श्रम विभाग द्वारा संयुक्त रूप से आंतरिक जांच के बाद कार्रवाई तय की जाएगी।