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5 घंटे पहले
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बरखा दत्त फाउंडिंग एडिटर, मोजो स्टोरी
अहमदाबाद से लंदन जा रहा एअर इंडिया 171 विमान क्यों क्रैश हुआ? 40 से अधिक दिन बीत जाने के बावजूद हमारे पास कोई ठोस जवाब नहीं है। प्रारंभिक जांच रिपोर्ट ने असमंजस को बढ़ाया है। उसमें जैसे अस्पष्ट संदर्भों को शामिल किया गया है, उससे गैर-जिम्मेदाराना अटकलों को और बढ़ावा मिला है।
उड़ान की मॉनिटरिंग कर रहे कैप्टन सुमित सभरवाल और विमान उड़ा रहे फर्स्ट ऑफिसर क्लाइव कुंदर को पश्चिमी मीडिया ने आरोपी ठहरा दिया है। सीनियर पायलट सभरवाल- जिन्हें उनके सहकर्मियों ने सौम्य, सहज और अध्ययनशील व्यक्ति बताया है- पर वॉल स्ट्रीट जर्नल जैसे अखबारों ने ईंधन की सप्लाई बंद करने का आरोप लगाया है।
इन अखबारों ने बोइंग 787 बेड़े और उसकी निर्माता कंपनी की तकनीकी भूलों को बड़ी आसानी से नजरअंदाज कर दिया। इससे मुझे समेत कई लोगों को लग रहा है कि हादसे के इर्द-गिर्द रचा जा रहा यह कथानक विमान के बजाय पायलटों को जिम्मेदार ठहराने के लिए है।
यह कॉलम लिखने के दौरान ही अमेरिका में हवाइयन एयरलाइंस के एक 787 ड्रीमलाइनर को दो बार लॉस एंजेलेस की ओर डायवर्ट करना पड़ा। वह होनुलुलु स्थित अपने गंतव्य तक नहीं पहुंच सका। वहीं डेल्टा एयरलाइंस के बोइंग 767 के उड़ान भरते ही बाएं इंजन में लपटें दिखाई दीं। इसके चलते उसकी भी लॉस एंजेलेस में इमरजेंसी लैंडिंग करानी पड़ी।
अमेरिकी कांग्रेस और सीनेट के समक्ष बोइंग के सीईओ का रिकॉर्डेड बयान है, जिसमें उन्होंने “गंभीर सुरक्षा चूक’ स्वीकार की है। अपने 737 मैक्स विमानों के क्रैश होने पर कार्रवाई से बचने के लिए कम्पनी ने ट्रम्प प्रशासन को 1 अरब डॉलर से अधिक का जुर्माना दिया है।
यहां यह याद दिलाना प्रासंगिक होगा कि 2018 में जब पहला 737 मैक्स क्रैश हुआ था तो उसके बाद पायलट को ही जिम्मेदार ठहराया गया था। ऐसा ही अब एअर इंडिया हादसे के बाद हो रहा है। पांच महीने के अंतराल में इसी विमान में दूसरा हादसा होने के बाद जाकर दुनियाभर में इस बेड़े के सभी विमानों की उड़ानें रोकी गईं।
इससे यह भी सामने आया कि हादसे डिजाइन और सॉफ्टवेयर की खामी के कारण हुए थे। नए विमानों में एमसीएएस सिस्टम में खराबी थी और पायलटों को इन नई प्रणालियों के बारे में बताया तक नहीं गया था। इन सिस्टम्स ने डेटा को गलत तरीके से पढ़ा और दो विमान हादसे के शिकार हुए।
खासतौर पर 787 के मामले में ओसाका में 2019 में हुई घटना इसका उदाहरण है, जिसमें लैंडिंग के वक्त पाायलट के कमांड दिए बगैर विमान के दोनों इंजन बंद हो गए थे। यह एअर इंडिया के रहस्यमयी क्रैश की तरह ही है।
सभी ठोस साक्ष्यों के बावजूद प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में बोइंग और जीई (विमान का इंजन बनाने वाली कंपनी) दोनों को क्लीनचिट दे दी गई। जबकि फ्यूल स्विच, फ्यूल वॉल्व जैसी चीजों को लेकर कई सुरक्षा एडवाइजरी और निर्देश अभी सामने आने ही लगे थे।
कॉकपिट की उस आधी-अधूरी बातचीत के आधार पर अंतरराष्ट्रीय मीडिया कैप्टन सभरवाल को दोषी ठहरा रहा है, जिसमें एक पायलट दूसरे से कह रहा है- “तुमने कट-ऑफ क्यों किया?’ और दूसरे ने कहा “मैंने नहीं किया।’ माना जा रहा है जिस पायलट से फ्यूल स्विच बंद करने के बारे में पूछा जा रहा है, वे सभरवाल हैं, क्योंकि कुंदर तो विमान उड़ा रहे थे।
प्रारंभिक रिपोर्ट में बातचीत के समय और उस दौरान विमान की ऊंचाई का हवाला भी नहीं दिया गया है। चूंकि रिपोर्ट में कॉकपिट में हुई पूरी बातचीत नहीं है, इसलिए ये आधे-अधूरे वाक्य किसी काल्पनिक व्याख्या को ही जन्म दे सकते हैं।
यह बात सभी को पता नहीं है कि फ्यूल कंट्रोल के स्विच कथित तौर पर बंद करने की घटना को दर्ज कर रहा ब्लैक बॉक्स असल में इलेक्ट्रिक सिगनल्स के आधार पर ऐसा कर रहा था। कुछ पायलटों का यह भी तर्क था कि संभवत: कंट्रोल स्विचों को कभी मैनुअली हिलाया ही नहीं गया हो और फिर भी ब्लैक बॉक्स ऐसे सिग्नलों को दर्ज कर रहा हो, जो एक बड़े इलेक्ट्रिक फेल्योर की ओर इशारा करता है।
कुछ अन्य का कहना है कि दोनों इंजन फेल होने के बाद स्विचों तक पहुंचा गया होगा, जैसा कि बोइंग मैनुअल में बताया गया है। हम ठीक-ठीक तरह से कुछ नहीं जानते। यही कारण है कि जिस तत्परता से जांच दल ने कह दिया कि बोइंग की ओर से किसी कार्रवाई की जरूरत नहीं है, बहुत विचित्र है।
अगर सच में ऐसा है तो कुछ पुरानी एडवाइजरी सामने आने के बाद एअर इंडिया समेत दुनियाभर की एयरलाइंस ने चुपचाप अपने सभी फ्यूल कंट्रोल स्विचों की जांच के आदेश क्यों दिए? इस प्रकार के सुझाव जांच दल की ओर से क्यों सामने नहीं आए?
प्रारंभिक जांच रिपोर्ट ने हमें हादसे के बारे में कोई नई जानकारी नहीं दी है। इससे शोर-शराबा ही अधिक हुआ है। और अंतरराष्ट्रीय मीडिया को मौका मिल गया है कि वह सबूतों के बिना ही हमारे दिवंगत पायलटों को बदनाम कर सके।
(ये लेखिका के अपने विचार हैं)