4 घंटे पहले
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चेतन भगत, अंग्रेजी के उपन्यासकार
ताज होटल जाने वाले किसी भी व्यक्ति से उनके अनुभव के बारे में पूछें। चाहे वे वहां चाय पीने गए हों या रहने के लिए, उनके पास उस अनुभव की सकारात्मक यादें ही होंगी। केरल, मुंबई, लखनऊ या न्यूयॉर्क के किसी भी ताज होटल में जाएं। गर्मी हो या सर्दी, दिन हो या रात, यह हमेशा शानदार होता है।
होटल समूह के पास “ताजनेस’ नामक अवधारणा भी है, जो किसी ताज प्रॉपर्टी पर अनुभव होने वाली अनूठी भावना को प्रदर्शित करती है। ऐसे में यह विडंबनापूर्ण लगता है कि जो टाटा समूह ताज होटलों का संचालन करता है, वही दुनिया की सबसे खराब रेटिंग वाली एयरलाइनों में से एक एअर इंडिया का भी मालिक है।
अतीत में कई लोग सार्वजनिक रूप से एअर इंडिया की आलोचना करने से बचते थे। देशभक्ति का पहलू भी था, क्योंकि एअर इंडिया को राष्ट्रीय ध्वजवाहक के रूप में देखा जाता है। फिर भी सवाल तो पूछा ही जा सकता है कि भारत कोई विश्वस्तरीय एयरलाइन क्यों नहीं बना सकता?
यह तो समझ आता है कि टाटा ने एअर इंडिया को हाल ही में खरीदा है। कुछ साल पहले तक यह एक घाटे में चल रही कंपनी थी। टाटा ने एअर इंडिया का अधिग्रहण करके उसे विस्तारा के साथ मिला दिया, जो कि दुनिया में अपनी पहचान बनाने की राह पर बढ़ रही एक शानदार छोटी एयरलाइन थी। लोगों को उम्मीद थी कि एअर इंडिया अब विस्तारा में बदल जाएगी। इसके बजाय, हुआ उल्टा। ऐसा लगता है कि एअर इंडिया ने विस्तारा को निगल लिया है।
इस बीच, एअर इंडिया के गुणवत्ता-मानकों में गिरावट जारी है। गंदे और पुराने विमानों, टूटे एयर कंडीशनर और तकनीकी समस्याओं के कारण फ्लाइट के वापस लौटने की खबरें आती रहती हैं। अहमदाबाद-लंदन उड़ान में हुई भयानक दुर्घटना का तो जिक्र ही क्या करें। तो आखिर क्या कारण है कि धरती पर पहले दर्जे का हॉस्पिटैलिटी बिजनेस चलाने वाले टाटा आसमान में विफल साबित हो जाते हैं?
इसके कई कारण हैं। हमारी विमानन नीतियां ही ऐसी हैं कि लगभग हर अच्छी चीज अंततः खत्म हो जाती है या काम नहीं करती। विभिन्न कारणों से किंगफिशर, जेट, विस्तारा- सभी विलीन हो गए। वे सभी उच्च-गुणवत्ता वाला अनुभव देने की आकांक्षा रखते थे।
भारतीय एविएशन में एकमात्र विनर इंडिगो है, जो एक कुशल एयरलाइन है। अलबत्ता इंडिगो में मिलने वाली उपमा और सैंडविच खाकर आप किसी ऐसे स्कूली बच्चे जैसा महसूस करने लगते हैं, जिसका टिफिन उसकी बेपरवाह मां द्वारा तैयार किया गया हो।
हमें एक विश्वस्तरीय एयरलाइन की जरूरत है और हम उसे डिजर्व करते हैं। एक बढ़िया एयरलाइन देश की बेहतरीन ब्रांडिंग करती है। चाहे निवेशक हों, व्यवसायी हों या पर्यटक- किसी देश का फ्लैग-कैरियर उसके बारे में सबसे पहले बताता है। सिंगापुर एयरलाइंस, एमिरेट्स और कतर एयरवेज जैसी एयरलाइनों ने अपने गृह-देशों के लिए कमाल का काम किया है।
एक विश्वस्तरीय एयरलाइन के लिए क्या जरूरी है? सबसे पहले तो साफ-सफाई और सुंदरता। और उससे भी बढ़कर सुरक्षा, क्योंकि एक अच्छे सुरक्षा-रिकॉर्ड के बिना आपको विश्वस्तरीय एयरलाइन नहीं माना जा सकता है। फिर नम्बर आता है अच्छी कनेक्टिविटी, समय की पाबंदी और ट्रांसिट्स का।
लगभग सभी अच्छी एयरलाइनों के पास अच्छे ट्रांसिट-हब हवाई अड्डे हैं। हवाई अड्डे, नियामक और एयरलाइनें यात्रियों के लिए एक सहज अनुभव प्रदान करने के लिए मिलकर काम करते हैं। जबकि भारत में प्रमुख हवाई अड्डों पर भी आपको पता नहीं होता कि कब भीड़भाड़ हो जाएगी, कब आपको एयरोब्रिज नहीं मिलेगा और कब आप घंटों तक फंसे रहेंगे। अगर हम विश्वस्तरीय एयरलाइन बनाने के बारे में गंभीर हैं, तो हवाई अड्डों और नीति निर्माताओं को हमारी एयरलाइनों का समर्थन करना होगा।
एक बढ़िया एयरलाइन देश की बेहतरीन ब्रांडिंग करती है। चाहे निवेशक हों, व्यवसायी हों या पर्यटक- किसी देश का फ्लैग-कैरियर उसके बारे में सबसे पहले बताता है। सिंगापुर एयरलाइंस, एमिरेट्स और कतर एयरवेज को ही देख लें। (ये लेखक के अपने विचार हैं)