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- Column By Pandit Vijayshankar Mehta If You Are Thinking, Keep Breathing Deeply At That Time
2 घंटे पहले
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पं. विजयशंकर मेहता।
हम लोग अपनी बुद्धि का भी सही उपयोग नहीं कर पाते हैं। अधिकांश मौकों पर हमारी बुद्धि का संचालन मन करता है। जबकि संचालन होना चाहिए मस्तिष्क, हृदय द्वारा। मन के कुटिल विचार बुद्धि को भी गलत रास्ते पर ले जाते हैं। सुबह घर से निकलने से पहले अपने ही नजरिए पर काम करिए।
किसी विषय पर आप सोचते हैं कि ऐसा करें तो एक-दो बार यह भी सोचिए कि ऐसा क्यों ना करें। अलग-अलग नजरिए से देखने पर बुद्धि संतुष्ट होती है। उसे लगता है कि मेरा मालिक मुझे मांज रहा है, विकल्प दे रहा है, बुद्धिमान होने की तैयारी कर रहा है। और जब आप बुद्धि के साथ मन को हटाकर हृदय या मस्तिष्क के प्रभाव में काम करते हैं तो यह बिल्कुल ऐसा होता है जैसे गहराई में उतरना।
बुद्धि को जब गहराई में ले जाएं किसी विषय की तो बेचैनी होगी, थकान होगी। लेकिन आंख बंद करके सांस को बुद्धि से जोड़िए। बुद्धि को यदि सांस का समर्थन मिला तो शायद मन का दुष्प्रभाव उस पर नहीं पड़ेगा। इसलिए जब चिंतन कर रहे हों तो गहरी सांस लेते रहें, आप उस समय बुद्धि का सदुपयोग कर जाएंगे।