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- Column By Pandit Vijayshankar Mehta Now Even The Main Points Of Culture Are Being Decided By Machines
2 घंटे पहले
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पं. विजयशंकर मेहता
वासना आंख के कारण नहीं होती। वासना के कारण आंख अलग ढंग से तैयार हो जाती है। इसको हम समझें और एआई के युग में उम्र और वक्त को तय करें। सोशल मीडिया का उपयोग करने वाले अपनी उम्र देखें। कितना समय वो इसको दे रहे हैं, उसका मूल्यांकन करें। क्योंकि सोशल मीडिया से जरा-सी अच्छी बात प्राप्त करने के लिए आप कई अलग बातों के माहौल से गुजरते हैं और उसी में उलझकर रह जाते हैं।
सरकार इस मामले में एज-रेगुलेशन कब बनाएगी, यह अलग विषय है। पर आप अनुशासित हो जाएं, क्योंकि हमारे बच्चे मानसिक रूप से उतने परिपक्व नहीं, जितनी गुजरती पीढ़ी रही। अब तो सोशल मीडिया तय कर रहा है कि आपको कैसे नीरस करे और कैसे नीरसता से बाहर निकाले।
हमारी संस्कृति के मुख्य बिंदु भी अब यंत्र तय कर रहा है। हमने अपने प्रतीक चिह्न धीरे-धीरे छोड़ दिए हैं। शिखा, वस्त्र, बिंदी, माला- ये सब भेंट चढ़ गए हैं। लोग किस धर्म को छोड़ें और किस धर्म को अपनाएं, यह भी आने वाले समय में सोशल मीडिया और एआई तय करेगा।