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- Column By Pandit Vijayshankar Mehta Only He Can Be God, Whose Wealth Is Satvik
2 घंटे पहले
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पं. विजयशंकर मेहता
भगवान शब्द में “भग’ का सामान्य अर्थ है- ऐश्वर्ययुक्त, सात्विक शक्ति। अब हम ये ध्यान दें कि क्या हम किसी इंसान को तो भगवान नहीं मान रहे? भगवान वही है, जिसे ऋषि-मुनियों ने शास्त्रों के माध्यम से व्यक्त किया है।
कोई इंसान आदर्श हो सकता है, महान हो सकता है, लेकिन भगवान मत बना लीजिए। इन दिनों हमारे युवा भाई-बहनों में भगवान ढूंढने का फैशन चल पड़ा है। खेल जगत, फिल्म-संसार, यहां से कुछ चर्चित हस्तियों को वो लोग भगवान जैसा मान लेते हैं। उनका दायरा सोशल मीडिया है।
आज हमारे बच्चे समाज से कट गए हैं। माता-पिता उनको समाज में ले ही नहीं जा पाते। तो वो ऐसी हस्तियों को भगवान मान लेते हैं और यहीं से उनके जीवन में खतरा शुरू हो जाता है। क्योंकि जिन लोकप्रिय हस्तियों को वो भगवान मानते हैं, वो खुद ही समस्याओं से जूझ रहे हैं।
और जब ऐसी सेलेब्रिटी आत्महत्या करती है, तो उन्हें भगवान मानने वाली पीढ़ी और टूट जाती है। भगवान तो वो ही है, जिसका ऐश्वर्य सात्विक हो। और आज जो इन हस्तियों का ऐश्वर्य दिख रहा है, वो सात्विकता से बहुत दूर है।