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- Harivansh’s Column Poverty Is Not “socialism”, Economic Prosperity Is Necessary
5 घंटे पहले
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हरिवंश राज्यसभा के उपसभापति
अपनी शुरुआत के 100 साल बाद भारतीय कम्युनिस्ट केरल में नया इतिहास लिख रहे हैं। 80 वर्षीय मुख्यमंत्री विजयन की सदारत में। उद्योग मंत्री पी. राजीव की भी इसमें बड़ी भूमिका है। पिछले महीने संसार के सबसे बड़े कंटेनर जहाज (आइरिना) ने विझिंजम बंदरगाह पर लंगर डाला। चार फुटबॉल मैदानों जितना बड़ा और 24000 कंटेनर वाला मालवाहक। ऐसे जहाज भारत नहीं आते थे। इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं था। भारत का यह पहला गहरे पानी का ट्रांसशिपमेंट पोर्ट है।
इस सबकी शुरुआत 2011 में कांग्रेसी मुख्यमंत्री ओमान चांडी ने की थी। 2013 में डीपीआर बना। 2014 में जमीन अधिग्रहण हुआ। तब माकपा इसके विरोध में थी। मुख्यमंत्री चांडी ने 2015 में शिलान्यास किया। राज्य ने पीपीपी मॉडल पर पार्टनर चुना। पारदर्शी तरीके से अदाणी पोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड को चुना गया। माकपा सत्ता में आई।
हाईकोर्ट के एक रिटायर्ड जज की देखरेख में जांच चली। फिर माकपा सरकार इसके विकास में लगी। केंद्र सरकार ने 2022 में इसे रिंग रोड से जोड़ने की मंजूरी दी। इसी साल मई में प्रधानमंत्री ने बंदरगाह को देश को लोकार्पित किया।
यह पोर्ट खास है! देश और केरल के लिए। इसका बड़ा लाभ होगा, केरल, तमिलनाडु व कर्नाटक को। इसके पहले 75 फीसदी भारतीय ट्रांसशिपमेंट कंटेनरों को कोलंबो, सिंगापुर, जेवेलअली (यूएई) पोर्ट संभालते थे। सामान पहुंचने में विलंब होता था।
प्रति कंटेनर 80 से 100 डॉलर अधिक खर्च अलग। लेकिन अब ऐसा ही डीप वॉटर पोर्ट वधावन (महाराष्ट्र) में बन रहा है। तीसरा, अंडमान-निकोबार में प्रस्तावित है। इससे दुनिया के सप्लाई चेन में भारत की लॉजिस्टिक ताकत बढ़ेगी। केंद्र युद्ध स्तर पर ऐसी इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं को पूरा कराने में लगा है।
इस साल फरवरी में दो दिवसीय ‘इन्वेस्ट केरल ग्लोबल समिट’ हुई। राजनीति के तीन ध्रुव- माकपा, कांग्रेस व एनडीए एक मंच पर थे। केरल सरकार ने देशी-विदेशी निवेशकों को न्योता था। संदेश साफ था- पूंजी व उद्यमियों का स्वागत है।
आर्थिक सुधारों व प्रगति को सर्वोच्च प्राथमिकता। सीएम ने कहा, केरल ने नौकरशाही ढांचे की सफाई की है। ‘निवेशक फ्रेंडली’ बनने के लिए बड़े बदलाव किए हैं। नितिन गडकरी ने बताया तीन लाख करोड़ की सड़क योजनाएं यहां पूरी होंगी। 31 नई परियोजनाओं की सौगात भी दी।
महत्वपूर्ण बात कही विपक्षी नेता (कांग्रेस) वीडी सतीशन ने। उन्होंने कहा, राजनीतिक विचारों से परे हमारा सामूहिक लक्ष्य यह है कि केरल आर्थिक समृद्धि और औद्योगिक श्रेष्ठता का पर्याय बने। विपक्ष ने एक नई संस्कृति शुरू की है। हम सरकार को पूरा समर्थन दे रहे हैं। सरकार से भी अनुरोध है कि आप जब विपक्ष में हों, तो यही संस्कृति अपनाएं। इस राज्य का अतीत जो जानते हैं, वे इस घोषणा का महत्व समझ सकते हैं।
राज्य में नई औद्योगिक नीति बनी है। 2023 में स्टार्टअप्स ने यहां 33.2 मिलियन डॉलर पूंजी जुटाई। 2.90 लाख एमएसएमई ने यहां बड़ा निवेश किया है। अब केरल डीपटेक इनोवेशन में ग्लोबल हब बनने के रास्ते पर है। देश का पहला टेक्नोपार्क है- तिरुअनंतपुरम टेक्नोसिटी। 180 मिलियन डॉलर से बना टेक्नोलॉजी हब।
भारत का पहला ‘डिजिटल साइंस पार्क’ भी 181 मिलियन डॉलर से यहां बना है। साम्यवादी केरल ने पूंजी निवेश-उद्यमिता का महत्व अब समझा है। हड़ताल, आंदोलन, अनावश्यक यूनियनबाजी अनुभवों के बाद। चीन ने अपनी यात्रा (1949) के 29 वर्षों बाद (1978) पाया कि ‘गरीबी समाजवाद नहीं है।
संपन्न होना गौरवपूर्ण है’ (देंग)। तब देंग ने पहचाना कि आर्थिक ताकत ही मुल्कों का भविष्य तय करेगी। बंगाल में बुद्धदेव बाबू ने कोशिश की, पर पार्टी ने ही विफल किया। अब केरल में साम्यवादी शासन विकसित केरल विजन को साकार कर रहा है। बदले वक्त की नब्ज पहचानकर।
आर्थिक ताकत ही मुल्कों का भविष्य तय करती है। बंगाल में बुद्धदेव बाबू ने कोशिश की, पर उन्हें उनकी पार्टी ने ही विफल कर दिया था। लेकिन अब केरल में साम्यवादी शासन विकसित केरल विजन को साकार कर रहा है। (ये लेखक के अपने विचार हैं)