इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने एक महत्वपूर्ण बयान देते हुए बताया कि इस्राइली सेना ने सीरिया में बड़ी सैन्य कार्रवाई की है और यह कार्रवाई भविष्य में भी जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि यह कदम उन्होंने दो कारणों से उठाया। पहला- दमिश्क (सीरिया की राजधानी) के दक्षिणी इलाके को सैन्य मुक्त बनाए रखना, जो कि गोलन हाइट्स से लेकर द्रुज पहाड़ियों तक फैला हुआ है। दूसरा- सीरिया में बसे द्रुज समुदाय की रक्षा करना, जिन्हें वे हमारे भाइयों के भाई कहते हैं।
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‘सीरियाई सेना ने शांति का उल्लंघन किया’
प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने कहा कि सीरियाई सरकार ने इन दोनों शर्तों का उल्लंघन किया। उन्होंने दावा किया कि दमिश्क से दक्षिण की ओर सेना भेजी गई, जहां जाने की इजाजत नहीं थी। वहां द्रुज समुदाय पर हमला किया गया और नरसंहार शुरू हुआ। नेतन्याहू के मुताबिक, ‘हम इसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं कर सकते थे। इसलिए मैंने इस्राइली डिफेंस फोर्स (आईडीएफ) को जोरदार कार्रवाई के आदेश दिए।’
हवाई हमले और दमिश्क में रक्षा मंत्रालय पर हमला
इस्राइल की वायुसेना ने द्रुज समुदाय पर हमला करने वाले समूहों और टैंकों को निशाना बनाया। साथ ही दमिश्क स्थित सीरिया के रक्षा मंत्रालय पर भी हमला किया गया। इस सैन्य कार्रवाई के बाद सीरियाई सेना को पीछे हटना पड़ा और अंततः एक सीजफायर (युद्धविराम) लागू हुआ। नेतन्याहू ने जोर देकर कहा, ‘यह शांति अपीलों से नहीं, ताकत के जरिए हासिल हुई है। हम सात मोर्चों पर ताकत के बल पर सुरक्षा और शांति बनाए रखेंगे।’
‘द्रुजों को नुकसान नहीं होने देंगे’
प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने स्पष्ट कहा कि अब भविष्य में भी सीरिया की कोई भी सैन्य ताकत दमिश्क के दक्षिण की ओर नहीं जा सकेगी और जेबेल द्रुज क्षेत्र में रहने वाले द्रुज समुदाय को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जा सकेगा।
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‘शेख का संदेश मेरे दिल को छू गया’
नेतन्याहू ने बताया कि इस्राइल में द्रुज समुदाय के प्रमुख नेता शेख मवाफक तारीफ ने उनसे संपर्क कर मदद की गुहार लगाई। उन्होंने कहा, ‘जब होलोकॉस्ट के दौरान यहूदियों का नरसंहार हुआ, तब उन्होंने दुनिया से मदद मांगी लेकिन कोई नहीं आया। आज हम द्रुज समुदाय पर हो रहे हमलों को रोकने के लिए इस्राइल से मदद मांग रहे हैं।’ नेतन्याहू ने कहा, ‘उन्होंने सही कहा। हमने कार्रवाई की, और जरूरत पड़ी तो दोबारा करेंगे।’