केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने वरिष्ठ वकील और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल पर निशाना साधते हुए उन्हें औसत दर्जे का वकील बताया और कहा कि वे संसद पर अपना निजी एजेंडा नहीं थोप सकते। किरेन रिजिजू का यह बयान उस समय आया जब कपिल सिब्बल ने कहा कि जब तक न्यायमूर्ति शेखर यादव के खिलाफ ‘सांप्रदायिक टिप्पणी’ को लेकर महाभियोग की जांच शुरू नहीं होती, तब तक विपक्ष को न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ सरकार के किसी भी महाभियोग प्रस्ताव का समर्थन नहीं करना चाहिए।
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‘उनका दूसरों की भलाई से कोई लेना-देना नहीं’
किरेन रिजिजू ने एक इंटरव्यू में कहा, ‘मुझे जानकारी मिली कि कपिल सिब्बल किसी को बचाने और किसी के खिलाफ कार्रवाई करने की कोशिश कर रहे हैं। वे वरिष्ठ हैं, लेकिन निजी एजेंडे से चलते हैं। उनका दूसरों की भलाई से कोई लेना-देना नहीं है।’ उन्होंने आगे कहा, ‘मैंने उनसे संसद में थोड़ा समय देने को कहा है। वो सोचते हैं कि सांसदों को भाषण देकर खुद कोर्ट चले जाएंगे। पर वो ये नहीं समझते कि संसद में ऐसे कई सदस्य हैं जो उनसे कहीं ज्यादा समझदार और जानकार हैं।’
सिब्बल को नहीं संसद का मार्गदर्शक बना सकते- रिजिजू
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा, ‘कपिल सिब्बल एक औसत वकील हैं, लेकिन उन्हें यह भ्रम हो गया है कि वही हर बात पर रोशनी डाल सकते हैं। संसद को वो दिशा नहीं दे सकते। संसद सभी सदस्यों की सामूहिक सोच से चलती है, किसी एक वकील-सांसद के विचारों से नहीं।’ उन्होंने यह भी कहा कि संसद में किसी जज को हटाने की प्रक्रिया तय नियमों के तहत होती है और संसद ही एकमात्र मंच है जहां सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के जज को हटाया जा सकता है।
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महाभियोग प्रस्ताव पर टिप्पणी से किया इनकार
किरेन रिजिजू ने कहा कि संसद का सत्र 21 जुलाई से शुरू होने जा रहा है, इसलिए वे किसी भी न्यायाधीश को हटाने के प्रस्ताव या विचार पर अभी कोई टिप्पणी नहीं करेंगे। उन्होंने दोहराया कि, ‘हम किसी के निजी एजेंडे पर नहीं, देशहित में काम कर रहे हैं। संसद को कोई एक व्यक्ति नहीं, सभी सदस्य मिलकर चलाते हैं।’