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- Prof. Gaurav Vallabh’s Column The Journey From “Ease Of Corruption” To “Ease Of Doing Business”
9 घंटे पहले
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प्रो. गौरव वल्लभ पीएम आर्थिक सलाहकार परिषद के अस्थायी सदस्य व भाजपा नेता
पिछले एक दशक में भारत ने एक परिवर्तनकारी यात्रा की है। संरचनात्मक सुधारों, व्यापक वेलफेयर कार्यक्रमों और मुखर वैश्विक दृष्टिकोण से स्थिरता और विकास का संतुलन बनाया है। सक्रिय मीडिया, स्वतंत्र न्यायपालिका और मुखर विपक्ष के साथ भारत एक जीवंत लोकतंत्र बना हुआ है।
जहां लोकतंत्र में आलोचना महत्वपूर्ण है, वहीं राष्ट्रीय प्रगति के मानकों को पहचानने में भूल नहीं की जानी चाहिए। आज भारतीय लोकतंत्र परिपक्व हो गया है। एनडीए को लगातार मिलते चुनावी जनादेश एक ऐसे दृष्टिकोण में जनता के भरोसे को दर्शाते हैं, जो विकास को राष्ट्रीय एकता के साथ जोड़ता है। यह लेख विश्लेषण करता है कि क्या पिछले 11 वर्षों में भारत सभी के लिए बेहतर, निष्पक्ष और मजबूत बन पाया है?
सबसे पहले बेहतरी की बात करें। जीडीपी आंकड़ों की तुलना वैश्विक प्रतिकूल परिस्थितियों के संदर्भ में की जानी चाहिए। तमाम चुनौतियों के बावजूद भारत सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक के रूप में उभरा है।
महामारी के वर्षों को छोड़कर भारत ने वित्त वर्ष 2014 से वित्त वर्ष 2025 तक औसतन 7.1% जीडीपी वृद्धि की है, जबकि 2004 से 2014 के दौरान यह 6.7% थी। 2014 में 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने से भारत अब 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है।
आईएमएफ के आंकड़े पुष्टि करते हैं कि पिछले एक दशक में भारत ने शीर्ष 10 वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक वृद्धि देखी। वित्त वर्ष 2014 से प्रति व्यक्ति जीडीपी 2.6 गुना बढ़ी है। तब से अब तक मुद्रास्फीति भी औसतन 4.6% रही है, जो यूपीए काल के 7.5% के आंकड़े से काफी बेहतर है।
जीडीपी के हिस्से के रूप में पूंजीगत व्यय 2004-14 के दौरान 2% से बढ़कर वित्त वर्ष 2025 में 3.1% हो गया। उच्च विकास, मध्यम मुद्रास्फीति और सशक्त निवेश एक ऐसी अर्थव्यवस्था की ओर इशारा करते हैं, जो तेजी और मजबूती से बढ़ रही है।
जहां तक निष्पक्षता का प्रश्न है तो भारत ने समानता और न्याय पर भी ध्यान केंद्रित किया है। मूल आयकर छूट 2014 में 2.5 लाख से बढ़कर 2025 में 12 लाख रुपए हो गई। संपत्ति कर के उन्मूलन और जीएसटी के कार्यान्वयन जैसे सुधारों ने कराधान को सरल बनाया है और औपचारिक अर्थव्यवस्था को व्यापक बनाया है।
वित्त वर्ष 2025 तक जीएसटी संग्रह 16.75 लाख करोड़ रु. से अधिक हो गया। बुनियादी ढांचे में उछाल ने इस वृद्धि का समर्थन किया। राष्ट्रीय राजमार्ग 2014 में 91,287 किलोमीटर से बढ़कर 2025 में 1,46,204 किलोमीटर हो गए।
अटल सुरंग और चिनाब पुल जैसी ऐतिहासिक परियोजनाएं पूरी हुईं। रेल पटरियों की संख्या दोगुनी से भी अधिक हो गई (2014-25 में 31,000 किमी बनाम पिछले दशक में 14,000 किमी) और पटरियों का विद्युतीकरण 21,000 किमी (2004-14) से बढ़कर 41,000 किमी (2014-25) हो गया।
विश्व बैंक के अनुसार, भारत में 2011-12 में अत्यधिक गरीबी 27.1% से घटकर 2022-23 में 5.3% हो गई, जिससे 26.9 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकल पाए। 2014 से 2024 तक भारत में 17.19 करोड़ नौकरियां पैदा हुईं- जो उससे पिछले दशक की 2.9 करोड़ से कहीं ज्यादा हैं। बेरोजगारी दर 2017-18 में 6% से घटकर 2023-24 में 3.2% हो गई।
अंत में मजबूती की बात करें तो आतंकवाद के प्रति भारत का जीरो-टॉलरेंस वाला दृष्टिकोण 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक, 2019 के बालाकोट हवाई हमलों और 2025 के ऑपरेशन सिंदूर जैसी निर्णायक कार्रवाइयों में स्पष्ट था।
भारत की वैश्विक छवि में उल्लेखनीय सुधार हुआ। 2023 में इसकी G20 अध्यक्षता को व्यापक रूप से सराहा गया। सीमा पर बुनियादी ढांचे के विकास में तेजी आई। पिछले पांच वर्षों में एलएसी पर उससे पूर्व के 25 वर्षों की तुलना में अधिक सड़कें और पुल बनाए गए, जिससे सुरक्षा और रणनीतिक गतिशीलता बढ़ी। भारत ने लंबा सफर तय किया है- “भ्रष्टाचार में आसानी’ से “व्यापार में आसानी’ तक। (ये लेखक के अपने विचार हैं)