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- Pt. Vijayshankar Mehta’s Column A Devotee Is Rare Because He Is Free From Tension
3 घंटे पहले
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पं. विजयशंकर मेहता
आप भक्त जैसे दिख सकते हैं, लेकिन जब भक्त होना पड़ता है तो उसके लिए अलग प्रक्रिया से गुजरना होगा। पार्वती जी शिव जी से कहती हैं- सब ते सो दुर्लभ सुरराया, राम भगति रत गत मद माया। हे महादेव जी, वह प्राणी दुर्लभ है, जो मद और माया से रहित होकर श्रीराम की भक्ति के परायण हो। तो यहां पार्वती जी ने संकेत दिया है कि जो मद और माया- इगो और इल्यूजन- इन दो बातों से परे होगा, उसके जीवन में भक्ति आसानी से उतर आएगी।
भक्त सदैव तनाव-रहित होता है। इसलिए अपने आप को भक्त बना लीजिए, क्योंकि आजकल हमारे जीवन में सेकंड हैंड तनाव का बड़ा प्रचलन है। कोई गलत ड्राइविंग करे, हमें टक्कर मार दे। कोई सिगरेट पी रहा हो, वो धुआं हमें पीना पड़ रहा है।
तो तीन काम करिए- संगति सकारात्मक रखिए, थोड़ा वॉक करिए और मेडिटेशन से गुजरिए। भक्ति आसानी से भीतर उतरेगी। आप दुर्लभ प्राणी होंगे और दुर्लभ व्यक्ति को तनाव मुक्त होना ही चाहिए।