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- Pt. Vijayshankar Mehta’s Column Decide In The Month Of Saavan That You Will Save Every Drop Of Water
5 घंटे पहले
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पं. विजयशंकर मेहता
शिव जी को जल बहुत पसंद है। विष्णु जी का तो नाम नारायण ही जल के कारण पड़ा, क्योंकि संस्कृत में जल को नार भी कहते हैं। हम सावन माह में प्रवेश कर गए हैं। खूब कांवड़ यात्राएं निकलेंगी, जलाभिषेक होंगे। पानी को इधर से उधर ले जाना कांवड़ यात्रा का प्रमुख लक्ष्य है। लेकिन अब पानी को बचाने की कांवड़ यात्राएं वर्ष भर निकलनी चाहिए।
भूजल का भारत ने बहुत दोहन किया है। एक बात और चिंता की है। दूषित जल को पीने से भारत में लगभग दो लाख लोग साल भर में मर जाते हैं। यह आंकड़ा बड़ा खतरनाक है। 35 करोड़ लोग हैं हमारे देश में, जो आज भी दुनिया भर के यंत्र-तंत्र से जुड़े होने के बावजूद साफ पानी नहीं पी पा रहे हैं।
और इस सावन के महीने में हमें पूरी दुनिया का विचार करना चाहिए कि आधी आबादी पानी की कमी वाली स्थिति में आ गई है। बहुत बड़ी क्रांति न करें, पर सावन के इस माह में हम यह निर्णय करें कि पानी की एक-एक बूंद बचाएंगे। जल के मामले में मानसून अस्थिर हो गया है, लेकिन जल बचाने में हम स्पष्ट और दृढ़-संकल्प रहें, तभी सावन का आनंद आएगा।