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- Pt. Vijayshankar Mehta’s Column Let Go Of The Doer feeling For A While And Become A Witness
3 दिन पहले
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पं. विजयशंकर मेहता
अगर आप कर्मयोगी हैं और बहुत कुछ करते हुए शांति चाहते हैं तो अध्यात्म में ऐसे संकेत हैं। ऋषि-मुनियों ने कहा है थोड़ी देर के लिए कर्ता-भाव को शून्य कर दें। कर्ता मत रहिए, साक्षी हो जाइए। जो रहा है होने दें, जैसे नदी किनारे बैठकर नदी के बहते पानी को देखते हैं। कोई हस्तक्षेप नहीं करते, लेकिन फिर भी बहता पानी हमें आकर्षित करता है।
ऐसे ही साक्षी हो जाइए, विचारों के, दृश्यों के, व्यक्तियों के- 24 घंटे में एक बार। अगर इस अभ्यास में दबाव लगे तो हफ्ते में एक बार प्रयास करिए। हम सब बहुत तेजी से सफलता की ओर दौड़ रहे हैं। आसमान में बैठने की जगह नहीं होती। अगर आप आसमान में उड़ रहे हैं तो फिर उड़ना ही पड़ता है, और वो भी लगातार।
ऐसे ही पानी में ऑक्सीजन लेने की जगह नहीं होती, थोड़ा-थोड़ा बाहर निकलना पड़ता है। मनुष्य में यह बुनियादी कौशल होना चाहिए कि अगर आसमान में है तो विश्राम के लिए थोड़ा नीचे आ जाए, जमीन पर। अगर जल में है तो ऑक्सीजन लेने थोड़ा बाहर आए। तब जाकर अधीरता, अहंकार, भ्रम, भय, अस्वस्थ होना, ये सब दूर होगा। और साक्षी होने के लिए ध्यान करें।