अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के महत्वाकांक्षी विधेयक को देश की संसद से अंतिम मंजूरी मिल गई है। देश की संसद के निचले सदन- कांग्रेस में इस विधेयक पर मतदान कराया गया। इस दौरान 218 सांसदों ने बिग ब्यूटिफुल बिल का समर्थन किया। 214 सांसदों ने इस विधेयक के खिलाफ वोट डाले। सदन ने जैसे ही इस टैक्स विधेयक को अंतिम मंजूरी दी, बिल को हस्ताक्षर के लिए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पास भेज दिया गया।
अमेरिकी संसद में चर्चा के दौरान 940 पेज के इस भारी-भरकम बिल पर कितनी विस्तृत चर्चा हुई, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि न्यूयॉर्क के डेमोक्रेटिक नेता हकीम जेफ्रीस ने विधेयक के विरोध में रिकार्ड तोड़ भाषण दिया। उन्होंने आठ घंटे से अधिक समय तक भाषण दिया। चर्चा के दौरान सदन के अध्यक्ष माइक जॉनसन ने कहा, हमें एक बड़ा काम पूरा करना है। इस बिल के साथ हम इस देश को पहले से कहीं अधिक मजबूत, सुरक्षित और समृद्ध बनाने जा रहे हैं।
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विशेषाधिकार का इस्तेमाल कर बहस में भाग लेने वाले जेफ्रीज ने 8 घंटे 44 मिनट के रिकॉर्ड भाषण में कहा, स्वास्थ्य देखभाल कार्यक्रमों पर अमेरिकी लोग बड़ी संख्या में निर्भर हैं। आक्रोश से भरे डेमोक्रेटिक सांसद ने कहा, ‘मैंने कभी नहीं सोचा था कि उन्हें सदन में यह कहना पड़ेगा कि यह एक अपराध स्थल है। अमेरिकी लोगों के स्वास्थ्य, सुरक्षा और कल्याण को खतरे में डाला जा रहा है।’
विधेयक में क्या है खास
- इस पैकेज की प्राथमिकता ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान लागू 4.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के टैक्स छूट को लागू करना है।
- कर्मचारियों को टिप और ओवरटाइम वेतन में कटौती की अनुमति मिलेगी।
- प्रति वर्ष 75,000 अमेरिकी डॉलर से कम कमाने वाले अधिकांश वृद्धों के लिए 6,000 अमेरिकी डॉलर की कटौती।
- अमेरिका में “गोल्डन डोम” रक्षात्मक प्रणाली विकसित करने के लिए लगभग 350 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश का भी जिक्र।
विधेयक का विरोध कर रहे डेमोक्रेट्स का कहना है कि यह अमीरों को कर में छूट देने का एक तरीका है। मजदूर वर्ग और समाज के सबसे कमजोर वर्ग पर बोझ बढ़ेगा।
- आलोचकों का मानना है कि इस पैकेज से दशक भर में घाटा 3.3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर बढ़ जाएगा।
- 11.8 मिलियन से अधिक लोगों को मिला स्वास्थ्य कवरेज छिनने का खतरा।
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सीनेट में जेडी वेंस के समर्थन से पारित हुआ विधेयक
बता दें कि कांग्रेस में पारित होने से पहले इस विधेयक को सीनेट में भी कड़े विरोध का सामना करना पड़ा। हालांकि, उपराष्ट्रपति जेडी वेंस की तरफ से समर्थन का वोट डालने के बाद सीनेट से इस विधेयक को मंजूरी मिल गई। बीते 30 जून को (अमेरिकी समयानुसार) सीनेट में मतदान के दौरान विधेयक के पक्ष और विरोध में 50-50 मत पड़े। जिसके बाद उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने अपना निर्णायक मत देकर बिग ब्यूटिफुल विधेयक को मंजूरी दिलाई। विधेयक का विरोध करने वाले लोगों में तीन रिपब्लिकन सांसद- थॉम थिलिस, सुजैन कॉलिन्स और केंटकी रैंड पॉल भी शामिल रहे।
क्या है बिग ब्यूटिफुल बिल
राष्ट्रपति ट्रंप ने ‘वन बिग ब्यूटीफुल बिल’ (ओबीबीबी) में अपने नीतिगत एजेंडे और अभियान के वादों को एक साथ समाहित किया है। हालांकि, इससे संघीय घाटे में और वृद्धि होने और पहले से ही बढ़ते अमेरिकी ऋण के ढेर में और इजाफा होने की आशंका है। ओबीबीबी के प्रतिकूल राजकोषीय (सरकारी बजट से संबंधित) प्रभाव और इसके व्यापक आर्थिक प्रभावों को लेकर कई चिंताएं भी उपजी हैं। इस विधेयक के लागू होने से एक ओर कर कटौती होगी और दूसरी ओर खर्च में बढ़ोतरी की जाएगी। इससे अमेरिकी सरकार की वित्त स्थिति खराब हो सकती है।
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गौरतलब है कि अमेरिकी सरकार की कमाई और खर्च का अंतर यानी फेडरल घाटा पहले से ही काफी अधिक है। 2024 तक के आंकड़ों के अनुसार अमेरिका के फेडरल घाटा करीब 1.9 ट्रिलियन डॉलर है। यह राशि अमेरिका की जीडीपी का लगभग 6.4% है। यह राशि कितनी अधिक है इसका अंदाजा हम इस बात से लगा सकते हैं यह 2024 भारत के कुल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का लगभग 50% है।
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